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प्रेमम : एक रहस्य! (भाग : 26)


दो नकाबपोशों ने एक आदमकद बोरे को ब्लैंक सामने पटक दिया और फिर उसके सामने विशेष मुद्रा बनाते हुए खड़े हो गए।

"यह क्या है?" ब्लैंक उस बोरे की तरफ इशारा करते हुए बोला, उसका प्रश्न सुनते ही एक नकाबपोश ने बोरे का मुँह खोलकर उड़ेल दिया, जिसमें में सरकता हुआ अरुण का बेहोश शरीर नीचे जा गिरा।

"व्हाट?" अरुण को पीने सामने देखते ही ब्लैंक उछल पड़ा।

"यह जंगल के उस छोर तक पहुँच चुका था बॉस!" उस नकाबपोश ने विनम्रता से उत्तर दिया।

"इसे होश में लाओ!" ब्लैंक ने आर्डर दिया।

"क्या?" वह नकाबपोश हक्का बक्का सा अपने स्थान पर खड़ा रहा।

"मैंने जो कहा है वो करो! हम अपने मकसद के इतने करीब आ चुके हैं, मैं चाहता हूँ ये अपनी आँखों से मुझे जीतते देखे!" ब्लैंक भयानक हँसी हँसते हुए बोला।

"जी!" कहते हुए वह अरुण को होश में लाने का प्रयास करने लगा।

"अब सारी दुनिया मुझे हमारे मक़सद को पूरा देखेगी फिर मैं जो चाहूंगा वही होगा! ये दुनिया हमारे कदमो में होगी।" अट्ठहास करता हुआ ब्लैंक अपने आसन से उठकर अरुण के पास पहुँचा। "बहुत परेशान कर लिया तुमने मिस्टर अरुण! अब तुम एक अच्छे बच्चे की तरह शांति से सारा खेल देखो और एन्जॉय करो। हाहाहा…..!"

"ये होश में नहीं आ रहा है बॉस! शायद गहरी चोट लगी है।" उस नकाबपोश ने अरुण के चेहरे पर एक पूरी बाल्टी पानी उड़ेलते हुए बोला।

"अब नाटक बन्द कर इंस्पेक्टर! होश में आ जा। अभी तू अचानक ही होड़ में आएगा और बोलेगा कि मैं तो तेरा ठिकाना ढूंढने के लिए बेहोशी का नाटक करते हुए यहाँ तक आया और अब मेरी प्लानिंग को फैल करना चाहते हो। मगर माफ करना बच्चे! तुम्हें उतने से से भी नाटक नहीं आता, माना कि एक्टिंग अच्छी थी और मेरे आदमी धोखा भी खा गए मगर ये ऑस्कर विनिंग नहीं थी।" ब्लैंक ने अरुण के चेहरे पर लात से ठोकर मारते हुए कहा। "अगर आज मैं अपने मकसद के इतने करीब नहीं पहुँच चुका होता तो तेरे साथ इन सभी निकम्मों की भी लाशें बिछा देता.. मगर अब दुनिया देखेगी, मुझे वो हासिल करते जिसे दुनिया ने मुझसे छीन लिया था।" ब्लैंक दहकते हुए स्वर में बोल रहा था। कई सारे हथियारबंद नकाबपोश अरुण के ऊपर गन पॉइंट किये खड़े थे।

"मेरा कोई प्लान नहीं था ब्लैंक! एक बात तेरी जानकारी के लिए बता दूं, अरुण कभी प्लान नहीं बनाता।" एक नकाबपोश गुंडे से हथियार छीनते हुए अरुण उठ खड़ा हुआ और तेजी से घूमते हुए दूसरे नकाबपोश पर प्रहार किया। तभी अरुण के कमर पर जोरदार किक पड़ी वो दूर जा गिरा। अगले ही पल उन सभी नकाबपोशों ने उसे दुबारा घेर लिया।

"प्लान बनाने के लिए दिमाग होना चाहिए अरुण! मगर तेरी खोपड़ी में तो बस भूसा भरा हुआ है। अब कोई चालाकी मत करना, तुम्हारी एक हल्की सी हरकत भी आजाद करा सकती है...तुम्हारे जिस्म से रूह को! हाहाहा…!" जोर जोर से अट्ठहास करता हुआ ब्लैंक बोला।

"अगर तुझे ये लगता है तेरे ये गुर्गे मुझे रोक सकते हैं तो बहुत बड़ी गलतफहमी है ये तेरी!" अरुण ने तेजी झुकते हुए अपने जूते से खंजर निकालकर, एक नकाबपोश की गर्दन को रेत दिया, वह नकाबपोश किसी कटे वृक्ष के भांति धम्म से गिर गया। "पिछले एक हफ्ते से दो तीन काम ही मैं बार-बार कर रहा हूँ, पहाड़ो से कूदना और तेरे फालतू के गुर्गों को हलाल करना, इसलिए बोर हो गया था। अब सीधा मुद्दे पे आता हूँ मुझे उन मासूमों की मौत का इंतेक़ाम लेना है। बोल क्या दोष था उनका जो इतनी बेरहमी से मार डाला उन्हें।" अरुण की आँखों में खून खौलने लगा, उसने अपनी सारी ताक़त लगाकर उन सभी नकाबपोशों को दूर छिटक दिया। एक नकाबपोश तेजी से उसकी बढ़ते हुए उसको पूरी ताकत से मुक्का मारा, अरुण ने मुस्कुराते हुए बाएँ हाथ से उसके वार को रोका और दाहिने हाथ से खंजर खींचकर उसके माथे में घोंप दिया। जबरदस्त पकड़ और शक्तिशाली प्रहार के कारण खंजर उसके माथे को चीरता हुआ खोपड़ी में पेवस्त हो गया मगर अरुण यहीं नहीं रुका बल्कि लगातार वार करते हुए नाक, मुँह गले और छाती में भी घोंप दिया और फिर उसका हाथ छोड़ दिया।

इस वक़्त अरुण के चेहरे पर भयंकर कुटिल मुस्कान थी, जहां ऐसी सिचुएशन में होने पर किसी आम इंसान की सिट्टी पिट्टी गुम हो जानी तय थी वही अरुण, साक्षात काल का अवतार नजर आ रहा था।

"मैं तुझसे एक और बार पूछुंगा ब्लैंक! बता उन मासूमों की क्या गलती थी?" अरुण किसी ज्वालामुखी की भांति दहकते हुए स्वर में बोला।

"नहीं बताता! जाओ रूठ जाओ।" अचानक ही ब्लैंक के सुर बदल गए, जिसे देखकर अरुण को कोई हैरानी नहीं हुई। दो तीन नकाबपोश तेजी से अरुण की ओर बढ़े
अरुण के भरपूर घूसे ने दूसरे नकाबपोश का जबड़ा तोड़ दिया। तभी एक ने उसे पीछे से दबोचने की कोशिश की, जबरदस्त टर्न लेते हुए अरुण जमीन पर एक गोल चक्कर लेकर पीछे की ओर घूम गया और उसके पेट पर जोरदार लात जड़ दिया। वह नकाबपोश पीछे सरकते हुए दीवार से जा टकराया, तभी एक अन्य नकाबपोश उसकी ओर बंदूक ताने बढ़ा, अरुण ने टर्न करते हुए जोरदार फ्लाइंग किक उसके थोबड़े पर जड़ दी मगर इसी हड़बड़ी में वह भी एक पल को लड़खड़ा गया और अगले ही पल उसपर कई बंदूकें तन चुकी थी।

"ये कोई एक्शन फिल्म की शूटिंग नहीं है हीरो! तुम यहाँ मेरी मर्ज़ी से आ सके हो, तुम्हारी साँसे भी मेरी मर्ज़ी से चल रही हैं। तुम ऐसे हालात में नहीं हो जहां मैं तुम्हारे किसी सवाल का जवाब देना मुनासिब समझूँ,  अभी तुम अपनी साँसे गिनों। कर्नल कैद कर लो इसे, मैं चाहता हूँ ये हमें मक़सद को हासिल करते हुए देखे।" कहते हुए ब्लैंक वहां से निकल गया। कर्नल और उसके  साथी अरुण को घसीटते हुए उस कमरे से दूर ले गए।

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"क्या तुम्हें ये पता चला कि इस काले जंगल में सब काला काला क्यों हैं?" अनि ने बेपरवाही से क्रेकर से पूछा।

"मेरे अंदर ऐसी कोई जानकारी फीड नहीं है सर! फिलहाल मैं अपनी वेपेनरी सिस्टम को एनालिसिस कर रहा हूँ, फिलहाल कोई और वर्क नहीं कर सकता।"

"ठीक है मत करो, मेरी बला से! मैं क्या यहां अचार डालने आये हूँ!" कहते हुए अनि ने अपना रिर्प निकाला।

"हेलो काली भेड़िया!" कान से लगाते हुए नही बोला।

"अभी क्यों कॉल किया है तुमने!" एजेंट शॉ ने कड़क लहजे में पूछा।

"बस इतना पूछना था कि ये काला जंगल इतना काला क्यों है? समझ नहीं आ रहा कि जब छुपता हूँ तो किसी को दिखता हूँ या नहीं? मेरा मतलब मुझे कोई नजर ही नहीं आ रहा!" अनि ने एक ही सांस में सब उगल दिया।

"ये तुम्हारी प्रॉबल है सुप्रीम ईगल!" एजेंट शॉ थोड़े नरम लहजे में बोली मगर उसके लहजे में झल्लाहट स्पष्टया दिखाई दे रही थी।

"ठीक है सारी मेरी ही प्रॉब्लम है पर मैं बस नाम भर का सीक्रेट हूँ, काम तो खुल्लमखुल्ला करता हूँ न! तुम ही सताओ सब अबकुछ!" अनि ने नखरीले अंदाज़ में कहा।

"सुप्रीम ईगल! तुम मुझसे इस तरह बात नहीं कर सकते। और अगर अपनी फालतू बकवास करनी हो तो मुझे कॉल मत करना, मैं चीफ को रिपोर्ट कर दूंगी।" शॉ भड़कते हुए बोली।

"मुझे बस ये जानना है कि किसका जीवन इतने अंधेरे में था जो ऐसी जगह पर कुछ रखा है? क्या तुम्हें ये पता चल पाया कि यहां ऐसा क्या है जिसके पीछे ब्लैंक पड़ा है?" अनि ने शांत स्वर में पूछा।

"मैं यही जानने की कोशिश कर रही हूँ मगर यह  जगह और यहां क्या है इसकी कोई हिस्ट्री नहीं है, यह एक सुपर सीक्रेट प्लेस है। मैं बस इतना जानती हूँ कि देहरादून में जिन बच्चों को बेरहमी से मारा गया, उस घटना का सम्बंध इस काले जंगल से जरूर है और वो जो भी ताक़त है, अगर वो ब्लैंक के हाथों लग गयी तो उसके हाथों दुनिया को बर्बाद होने से कोई नहीं रोक सकता।" लंबी सांस लेते हुए शॉ ने कहा। "मैंने केस की स्टार्ट से इन्वेस्टिगेशन किया है, पूरी कहानी के पीछे वो विशेष चिन्ह है, जो कि तुम जानते हो ब्लैंक के ग्रुप का है। ये लोग अपने आप को कभी जाहिर नहीं करते, इनका कोई इतिहास पता नहीं चला है। जिस ट्रक का तुमने पीछा किया उस रुट को फ़ॉलो किया, तब मुझे पता चला कि ये कोई मामूली आतंकी हमला नहीं करने वाले हैं ये किसी अत्यंत शक्तिशाली शक्ति के पीछे पड़े हैं, जिसे ये अपना मकसद मानते हैं। जिनके दिमाग में पूरी तरह से इनका मक़सद ही फीड है जिस कारण से कोई भी इनसे कुछ नहीं उगलवा सकता। ब्लैंक के दिमाग को तो तुम बहुत अच्छे से जान चुके होंगे, वह हर बार तुमसे एक कदम आगे चल रहा है, इसका मतलब उसे ये पता होगा कि तुम काले जंगल में प्रवेश कर चुके हो! और ये लड़ाई तुम्हारी बकवास से नहीं जीती जा सकती। थोड़ा संभलकर रहना!"

"उफ्फ! तुम बस इस काले जंगल का इतिहास जानने की कोशिश करो!" अनि को ज्यादा कुछ कहते नहीं बना।

"इसका कोई इतिहास नहीं है सुप्रीम ईगल! बस ऐसे लगता है जैसे ये अभी पैदा हुआ हो!"

"ओह्ह!" अनि अपने सिर पर हाथ मारते हुए बोला।

"हमारे पास ज्यादा वक्त नहीं है, जो भी करना है जल्दी करो!" कहते हुए एजेंट शॉ ने कॉल काट दिया।

"उफ्फ! उन मासूमों की लाश आज भी मेरी आँखों के सामने तैर जाती है।" अनि के आँखों से आंसू बह निकले।

"कमाल है तुम रोते भी हो?" क्रेकर ने उसे रोंदू आवाज में बोलते सुनकर कहा।

"जिस बच्चे ने अपना सबकुछ खो दिया हो वो क्यों रोयेगा क्रेकर! मगर उन मासूमों की जिंदगी से खेलने वाले क्रेकर को खून के आँसू रुलाऊंगा मैं!" अनि गुस्से से लाल हो चुका था।

"शांत हो जाओ, लगता है तुम्हारे मिस्टर बर्बादी का असर पड़ गया है।" क्रेकर ने व्यंग्य किया।

"हम्मम!" कहते हुए अनि शांत हो गया।

"यहां आसपास कुछ लोग हैं, तुम्हें सावधान रहना होगा।" क्रेकर ने आसपास हो रहे हलचल को महसूस करते हुए बोला।

"मुझे पता है क्रेकर! मुझे ऐसे ही सुप्रीम ईगल नहीं कहा जाता। मेरी निगाहें सबकुछ देखती हैं।"

"ओके सर!" कहते हुए क्रेकर शांत हो गया।

"ये क्या उस ओर से तो लाइट आ रही है! कहीं हम फिर से बाहर तो नही आ रहे?" सामने हल्के प्रकाश को देखकर अनि भौचक्का रह गया। काफी देर से वे दोनों किसी तरह छिपते छिपाते आगे बढ़ रहे थे मगर अब वे जहां से चले थे वहीं पहुँच चुके थे।

"व्हाट?" अनि हैरान था। "यही से तो जंगल में एंट्री मारी थी हमने, अब उन गार्ड्स का दिखना भी बंद हो गया ये कैसा जाल है?" अनि का सिर चकरा रहा था। "साला इतना मार पीट, इतना छुप के चलना सब बर्बाद हो गया।" वहीं नरम घास पर फैलते हुए अनि बिफर पड़ा।

"इसका मतलब साफ है सर अभी भी कोई इस कथित काले जंगल में उस स्थान तक प्रवेश नहीं कर सकता जहां पर वह ताक़त है।" क्रेकर ने उत्तर दिया।

'एक मिनट! मैं काहे गुस्सा हो रहा हूँ! इसका मतबल ये है कि खाली स्थान भैया का मायका भी इधर ही किसी गड्ढे में होगा, अब ये कोई उनका ससुराल तो है नहीं, नहीं तो यहां आने के लिए इतनी मेहनत क्यों करते! यानी अभी भी यहाँ के दरवाजे बंद हैं, वो भी सबके लिए। तो क्यों न खाली स्थान भैया के पापा-स्थान पर जाकर उनको यहां आने से पहले यमु भैया के घर भेज दिया जाए। फिर न रहेंगे खाली स्थान भैया, न रहेगा ये सब झमेला।' अनि के मन में बिजली की भांति विचार दौड़ने लगे, उसके चेहरे पर अजीब से भाव आने जाने लगे, तभी उसका फोन घनघना उठा।

"अभी कौन कॉल कर रहा है यार!" ,किसी तरह ऐंठते हुए उसने अपना फोन निकाला। स्क्रीन पर कोई नई नंबर शो हो रहा था, अनि ने कॉल काट कर फ़ोन दुबारा जेब में रख लिया। दो सेकंड बाद ही  फिर से रिंग होने लगा।

"गजब की दुनिया है साली और दुनिया वाले उससे भी बड़े चादर चोर हैं, अबे यहां जंगल में नेटवर्क कौन दे रहा है बे, कमरे में ढंग का  मिलता नहीं।" मन ही मन सिम कंपनी को सौ गालियां देते हुए अनि ने कॉल अटेंड किया।

"हेलो विरूद्ध जी!" उधर से कानो में मिश्री घोल देने वाली एक प्यारी सी आवाज उभरी।

"कौन.. त..तुम.. ?" अनि उछल पड़ा। "तुम्हारा नम्बर तो मैंने ब्लैकलिस्ट में डाल दिया था।" अनि ने हड़बड़ाते हुए कहा।

"अरे विरुद्ध जी! बिल्कुल बुद्धू हो आप। नई सिम भी ली जा सकती है, इतना तो पता है न आपको, उस नम्बर को आपने ब्लॉक किया तो हमने भी नया ले लिया। उस सिम के होने का क्या फायदा जिससे आप से बात तक न हो सके!" बड़े ही रोमांटिक अंदाज में वो बोली।

"फिर तो आपको एक और नया सिम लेना होगा निराशा जी। हम आपको निराश नहीं करना चाहते पर क्या करें, हमारी भैंसिया सब चारा खा गई और हम बेचारा होकर बैठ गए हैं।" अनि ने दुखी होने का नाटक करते हुए कहा।

"अरे रूकिये न विरुद्ध जी! वो पापा को बोल दिया सब हमने!"

"क्या? क्यों?" अनि को जैसे 440 वॉट का झटका लगा।

"पापा बोले कि ठीक है!" आशा ने अपनी बात कहना जारी रखा।

"क्या केमिस्ट्री वाले सर भी?" अनि के चेहरे का रंग उड़ गया था।

"तुम आज भी उन्हें यही कहते हो, नाम तक नही लेते उनका हीहीही…!" चिढ़ाते हुए वह जोर जोर से हँसने लगी।

"अगर तुम केमिस्ट्री वाले सर की बेटी न होती न…!" अनि ने धमकी देते हुए कहा।

"तो क्या करते बोलो?" आशा ने बड़े प्यार से पुचकारते हुए कहा।

"भैंसिया की जगह तुम्हें बांध देता।" अनि ने बिफरते हुए कहा।

"हाये! इतना प्यार! मैं तो सदके जावां!"

"तो जाओ न सड़क पर रोका कौन है!"

"अरे सुनो तो विरुद्ध जी!"

"बोलिये ना निराशा जी!"

"तो हम भैया बना लें आपको?" आशा ने प्यार से पूछा।

"क….क्या?" अनि के पांवों तले जैसे जमीनें चल पड़ी मेरा मतलब खिसकने लगीं। "मैं किसी का भैया सैंया नहीं हूँ। हाँ…!"

"पापा बोले कि अब चाहे राखी का लड्डू हो या शादी का, बाद लड्डू की ही है, और मैंने तो बस तुम्हारे साथ लड्डू खाने की बात की है।

"केमिस्ट्री वाले सर!" अनि चिल्लाया। "अच्छा पढ़ाया लिखाया है आपने अपनी बेटी को।"

"भैया मेरे राखी के बंधन को निभाना!"

"हट हट हट….ट।" अनि चिल्लाया।

"हाहाहा.. इस बार तो मेरी ही बारी थी विरुद्ध जी!" आशा ने हंसते हुए कहा।
"अच्छा निराशा जी, मैंने चीनी की पत्ती चाय पर चढ़ा रखी थी वो डूबने लगी है। बाद में बात करता हूँ।" कहते  ही अनि की उंगलियां कॉल कट करने बढ़ी।

"हां ठीक है। मुझें भी थोड़ा घासलेट बनाना है आपके लिए। और हां अब दुबारा ब्लॉक मत करना।" आशा ने मुँह बनाकर जोर जोर से हुए कहा। "और हां! लड्डू मत भूलना!"

"उफ्फ ये लड़कियां! हे बजरंग बली मैं परमाणु बम भले ही संभाल लूँ पर ये लड़कियां मुझसे नहीं संभाली जा सकती। बचा लो हे संकट मोचन वीर बजरंगी।" कॉल कट कर हाथ जोड़ते हुए अनि बोला।

"एक बला तो टली कुछ देर के लिए। अब खाली स्थान भैया को भी दुनिया से खाली कर लूं।" कहते हुए अनि क्रेकर पर सवार हो गया।

क्रमशः…..


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2 Comments

Fauzi kashaf

02-Dec-2021 10:34 AM

Nice

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Zaifi khan

30-Nov-2021 09:12 PM

La jawab

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